डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम — जो आसमान को छूने वाला सपना बने

✈️ “डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम — जो आसमान को छूने वाला सपना बने”


🌿 भाग 1: छोटा सा लड़का, बड़े सपने

यह कहानी है तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव रामेश्वरम की।
वहीं रहता था एक पतला, सांवला, लेकिन बेहद जिज्ञासु लड़का — अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम।
घर में पैसा कम था।
पिता नाव चलाते थे, माँ घर में खाना बनाकर लोगों की मदद करती थीं।
लेकिन एक चीज़ उनके पास बहुत थी —

सपना देखने की हिम्मत।

अब्दुल कलाम स्कूल के बाद अख़बार बाँटते थे ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च उठा सकें।
वे हमेशा आसमान में उड़ते पक्षियों को देखते और सोचते —

“काश, मैं भी उड़ पाता!”


🚀 भाग 2: मेहनत का सफर

कठिनाइयाँ बहुत आईं, लेकिन कलाम ने कभी हार नहीं मानी।
उन्होंने विज्ञान में इतनी रुचि ली कि उन्हें आगे चलकर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला मिल गया।
वहाँ उन्होंने एरोनॉटिक्स (विमान विज्ञान) की पढ़ाई की।
सहपाठी कहते थे —

“यह लड़का सिर्फ़ मशीन नहीं, सपनों में भी उड़ता है।”

जब बाकी लोग आराम करते, कलाम रात भर काम करते —
मॉडल बनाते, प्रयोग करते, और असफलता से सीखते।


🛰️ भाग 3: असफलता से सफलता तक

पढ़ाई के बाद वे ISRO में शामिल हुए।
भारत में उस समय रॉकेट बनाने का कोई बड़ा अनुभव नहीं था।
पहला लॉन्च असफल हुआ — रॉकेट उड़ नहीं सका।
मीडिया ने आलोचना की।

लेकिन ISRO के प्रमुख ने सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली,
और कहा —

“कलाम, अगली बार जब सफलता मिलेगी, तो उसका श्रेय तुम्हें मिलेगा।”

और सचमुच —
दूसरे ही प्रयास में SLV-3 रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ!
भारत का सिर गर्व से ऊँचा हो गया।
डॉ. कलाम का सपना सच हो गया —
भारत ने अंतरिक्ष में अपनी पहचान बना ली थी।


💫 भाग 4: “मिसाइल मैन” और राष्ट्रपति

इसके बाद कलाम ने कई मिसाइल प्रोजेक्ट्स (अग्नि, पृथ्वी, नाग) का नेतृत्व किया।
लोग उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” कहने लगे।
लेकिन सबसे बड़ी बात —
उन्होंने कभी खुद को “महान” नहीं माना।
वे कहते थे —

“मैं बस एक टीचर हूँ, जो बच्चों में सपने जगाना चाहता है।”

2002 में वे भारत के राष्ट्रपति बने।
राष्ट्रपति भवन में रहने के बावजूद,
वे सबसे पहले स्कूल के बच्चों से मिलने जाते थे।
क्योंकि उनका मानना था —

“बच्चे ही देश का भविष्य हैं।”


🌟 भाग 5: अमर संदेश

27 जुलाई 2015 को जब वे IIM शिलॉन्ग में छात्रों को भाषण दे रहे थे,
तभी मंच पर ही उनका निधन हो गया।
वे अपने आखिरी क्षण तक युवाओं को सपने देखना सिखा रहे थे।

उनका अंतिम संदेश आज भी गूंजता है —

“सपना वो नहीं जो नींद में आता है,
सपना वो है जो आपको सोने नहीं देता।” 🌠


💡 सीख:

डॉ. कलाम ने सिखाया कि —

गरीबी, असफलता या कठिनाइयाँ हमें नहीं रोक सकतीं,
अगर हमारे भीतर सपने देखने की आग है।

🌸 “जो इंसान खुद पर विश्वास करता है,
वही असंभव को संभव बना देता है।” 🌸

Leave a Reply